प्रभाकर पाध्ये वाक्य
उच्चारण: [ perbhaaker paadhey ]
उदाहरण वाक्य
- १९८२-प्रभाकर पाध्ये-' सौंदर्यानुभव'
- १९८२-प्रभाकर पाध्ये-' सौंदर्यानुभव'
- भारत में इस अभियान की बागडोर उन दिनों ‘ कांग्रेस फार कल्चरल फ्रीडम ' की भारतीय शाखा के सचिव प्रभाकर पाध्ये के हाथों में थीं.
- यही वजह है कि 1956 के ऐफ़्रो एशियन लेखक सम्मेलन में अनेक ग़ैर-वामपन्थी लेखक तो गये ही थे, ‘ काँग्रेस फ़ॉर कल्चरल फ़्रीडम ' के एशियाई मामलों के सचिव प्रभाकर पाध्ये भी गये थे।
- 1957 में “ परिमल ' ' ने इलाहाबाद में जो लेखक सम्मेलन कराया था, उसके पीछे भी कैसे कांग्रेस फ़ौर कल्चरल फ़्रीडम ही की भूमिका थी इसका पता इस बात से चला था कि धन्यवाद-ज्ञापन ‘‘ कांग्रेस फ़ौर कल्चरल फ़्रीडम ” के पदाधिकारी प्रभाकर पाध्ये ने किया था।
- ‘ परिमल ' के मुखौटे के पीछे असली चेहरा किसका था, यह उस समय उजागर हो गया जब ‘ परिमल ' वाले सम्मेलन के बाद धन्यवाद-ज्ञापन के पत्र ‘ परिमल ' के पदाधिकारियों की ओर से जारी न हो कर ‘ काँग्रेस फ़ॉर कल्चरल फ़्रीडम ' के एशियाई मामलों के सचिव, प्रभाकर पाध्ये की ओर से लेखकों को भेजे गये।
- परिमल ' के १ ९ ५ ७ के ‘ साहित्य और राज्याश्रय ' विषय पर आयोजित सम्मेलन का उल्लेख करते हुए केशव चन्द्र वर्मा ने लिखा है, “ उस सम्मलेन में दो कड़वी बातें हुईं-एक तो यह कि वात्स्यायन ने बिना परिमल की संयोजन समिति से स्वीकृति लिए एक मराठी लेखक प्रभाकर पाध्ये को निमंत्रित कर दिया जो, उस समय ‘ कांग्रेस फार कल्चरल फ्रीडम ' वाली अमेरिकी एजेंसी के एक सक्रिय कारकुन माने जाते थे.
- और चूँकि प्रगतिशीलों की आपसी कशमकश भी कोई छिपी हुई चीज़ नहीं थी, इसलिए भी किसी बाहरी व्यक्ति को किसी साहित्यकार विशेष की प्रतिबद्धता के बारे में भ्रम हो सकता था जो प्रभाकर पाध्ये को भी हुआ होगा, क्योंकि उन्होंने धन्यवाद ज्ञापन के जो पत्र भेजे, उनमें से एक पत्र ऐसे ही प्रगतिशील लेखक के नाम था जिन्होंने वह पत्र अमृत राय को सौंप दिया और इलाहाबाद से निकलने वाली ‘ कहानी ' पत्रिका के जुलाई 1957 के अंक में अमृत राय ने इस तोड़क-फोड़क गतिविधि का भाँडा ऐन बीच चौराहे फोड़ दिया।
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